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विचार पीयूष

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*कबाड़ के भाव विक रहे हैं नौनिहालों का भविष्य*

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कबाड़ के भाव विक रहे हैं नौनिहालों का भविष्य

 

*सब पढ़ें,सब बढ़े के नारे का लाभ नहीं मिल रहा है कबाड़ उठाने वाले नौनिहालों को*

 

 

*आर्थिक तंगी से जूझ रहे नौनिहाल आज भी शिक्षा से बंचित हो सड़क पर व गली मोहल्ले में कबाड़ की बोतलें उठाने को मजबूर*

 

 

*विशुनदेव त्रिपाठी*

 

फरेंदा ,महराजगंज।

उत्तर प्रदेश सरकार की लाख कोशिश के बाद भी शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा हैं। जिससे आज भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवारों के बच्चे के शिक्षा से वंचित हो जा रहें हैं । गली मुहल्लों से व सड़कों पर कबाड़ उठाने नौनिहालों का भविष्य कबाड़ के भाव विक रहा है। आलम यह है कि आज भी गरीब बेसहारा परिवारों के बच्चों तक सब पढ़ें सब बढ़े का नारा नहीं पहुंच पा रहा है। सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से कटिबद्ध है तरह तरह की सुविधाओ को मुहैया कराने को लेकर तमाम तरह की योजनाओं को लागू कर भी रही है फिर भी आज गली मुहल्लों व सड़कों पर कबाड़ उठाते बच्चे जिम्मेदारों को दिखाई देते हैं लेकिन ये ज़िम्मेदारर कभी इन बेसहारा असहाय महसूम नौनिहालों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित नहीं किया न ही उनके भविष्य को लेकर चिंतित हुए जिसमें बहुततायत बच्चें आज भी शिक्षा से बंचित है। यही कारण है कि कबाड़ उठाने वाले बच्चों को सामाज में हेय दृष्टि से देखा जाता हैं।”जिन मासूमों के हाथों में कलम होनी चाहिए, आज उन हाथों से कबाड़ बिना जा रहा है। सड़क हो या गली- मोहल्ले हर जगह मासूम बच्चे कबाड़ की बोतलें उठाते हुए दिखाई देते हैं। एक ऐसा ही तस्वीर जिले के फरेंदा क्षेत्र के विष्णु मंदिर के बगल में दिखाई दिया जहां पर जितेंद्र नामक एक मासूम के कंधे पर कबाड़ से भरी बोरी थी और उसमें कबाड़ की बोतल भरता हुआ दिखाई दिया ।जब उक्त मासूम से शिक्षा की बात को लेकर पूछा गया तो उसने कहा कि शिक्षा से परिवार नहीं चलेगा। कबाड़ की बोतलों से घर परिवार का खर्च चलता है”कौन पढ़ाई-लिखाई करेगा और घर का खर्च कैसे चलेगा।यह कहकर वह रोने लगा और वहां से निकल पड़ा। क्या मासूम बच्चों को कबाड़ बिनने के लिए मजबूर किया जाता हैं या इन मासूम के कंधे पर कबाड़ के पैसों से परिवार का खर्च चलाना मजबूरी बन चुकी है। इस तस्वीर से यह प्रतीत होता है कि समाज में निर्दोषिता और उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि इस समस्या के समाधान के लिए जिम्मेदारो ने कभी सोचा तक नहीं जिसको लेकर आज भी जिम्मेदार अधिकारी बेखबर हैं। यही नहीं राजनीतिक नेताओं के द्वारा बड़े बड़े मंच से अपने उद्बोधन में कहा जाता है कि गरीब को उठाने के लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है गरीब असहाय बच्चों को सस्ती शिक्षा मुहैया कराया जाएगा लेकिन आज धरातल पर सब हवा -हवाई साबित हो रहा है।कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें सामाजिक और आर्थिक दबाव के कारण गरीबी में पढ़ाई करना मुश्किल हो जाता है जिससे वह घर की स्थिति को देखते हुए शुरू से कबाड़ बिनना होटलों ,ढाबों,दुकानों,पर मजदूरी करने के लिए बाध्य हो जाते हैं और शिक्षा से वंचित हो जा रहें हैं।अगर यह बच्चे शिक्षा से ज्ञान और अपनी समझ बढ़ाते तो अपने बेहतर भविष्य का निर्माण करने में पीछे नहीं रहते।

 

*शिक्षा के लिए बच्चों के अभिभावकों को किया जाएगा प्रोत्साहित बोलें बीईओ* —

 

खंड शिक्षा अधिकारी फरेंदा सुदामा प्रसाद ने बताया कि अगर इस तरह के बच्चे दिखाई दे रहे हैं तो उस क्षेत्र के प्रधानाचार्यो के साथ बैठक करेंगे। बैठक में प्रधानाचार्यो के माध्यम से संवाद स्थापित कर उन बच्चों के अभिभावकों से मिलकर स्कूल में नामांकन दाखिल करने के लिए प्रोत्साहित व प्रेरित किया जाएगा।

स्वामी एवं सम्पादक-श्री विशुनदेव त्रिपाठी WhatsApp -8756930388 e.mail -vicharpiyush@gmail.com

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